Labels

Monday, December 01, 2008

nahin chalta hai, nahin chalta hai, nahin chalta hai

नहीं चलता है, नहीं चलता है, नहीं चलता है
- डॉ. विवेक शर्मा

गर्जन दे, मुझे वह सामूहिक गर्जन दे,
जो गोली की हर गूँज को दहला दे,
फूटते बमों की वहशत को ठुकरा दे,
जो रिसते घावों की, आहों की,
तर्जन को हमलावरों का हाहाकार बना दे,
गर्जन दे, मुझे वह सामूहिक गर्जन दे |

कह नहीं चलता है, नहीं चलता है, नहीं चलता है,
जब मेरा घर, मेरा देश जलता है, नहीं चलता है,
नहीं भूलता है, जब भय गलियों में पलता है,
नहीं टलता है प्रचंड जब समूह का क्रोध उभरता है,
दे दर्शन मुझे, अस्वार्थी इक लय, इक हुंकार का,
कह नहीं चलता है, नहीं चलता है, नहीं चलता है |

जब तलक गन्दा लहू बहता हैं, घाव पकता है,
कुछ कैंसरों को सिर्फ़ काट के गुजारा चलता है,
जब तलक कांटे हैं राहों में, पाँव छिलते रहेंगे,
भीरु हिरण भेड़ियों के हाथों मिटते रहेंगे,
परशुराम की प्रतिज्ञा दे, दे चन्द्रगुप्त-चाणक्य का साहस दे,
हर वीर को अर्जुन-भीम, कृशन-बलराम के बल का अट्टहास दे |

सिसकता है योधा नहीं माँ की बाहों में,
झिझकता नहीं है चन्द्रशेकर खतरों की छावों में,
इक मत हो, इक हित हो, इक लक्ष्य भी,
यहाँ आनंद मठ हो, शान्तिनिकेतन भी, रणबांकुरों का आश्रय भी,
मिट्टी से उठे हूंक, हर लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, महाराणा जाग उठे,
टीपू-तांत्या की तलवार, शिवाजी का प्रतिशोध, सत्तावन का हलाहल जाग उठे |

कह नहीं चलता है, नहीं चलता है, नहीं चलता है,
घूंस खाता है, फूट फैलाता है, समूह का हिस्सा चुराता है,
बारूद और वर्दी को जो दुश्मनों को बेच खाता है,
भूल जाता है ऊँची इमारतों में बाहरी ग्रीष्म ग्लानियां, मानसूनी भूखमारियाँ,
भूल जाता है गावों, फुटपाथों, बसों में बेकाबू हसरतें, हिमाकतें, बइमानियाँ,
जो टलता है, मजबूरन या बेहिचक गुनाह करता है, नहीं चलता है, नहीं चलता है |

आज गर्जन दे, मुझे वह सामूहिक गर्जन दे,
वंदे मातरम में फ़िर वही दंभ, वही तर्जन दे,
बंद मुठी में सरफरोशी की तमन्ना का तराना दे,
इन असुरों के खात्मे के हर तरीके का बयाना दे,
दे इक मत, इक हित, इक लक्ष्य; दे साहस, प्रतिज्ञा, गर्जन,
कर, कह - नहीं चलता है, नहीं चलता है, नहीं चलता है |

1 comment:

Aarjav Trivedi said...

नहीं चलता है!