2010 में नया-पुराना, कर्मस्तुती, और आत्मबोध
डॉ. विवेक शर्मा
1
दस-बीस होते-करते बीस दस हो आया है
नया वर्ष है साथी, सब नए सपनों की माया है
नया गीत गूंजा है रेडियो पर, आई है अब फिल्में नयी
नए कैलेंडर लगे खूंटों पर, है अखबार नयी, मारामार नयी,
कहते हैं नए साल में मिलेंगे उपहार नए, कुछ दिखे है आसार नए,
अब नयी कलमों से खूंटों पर पर खिलेंगे पुष्प के प्रतिबिम्ब नए,
अब कोई नया विलंभ रोकेगा सरकार का कोई नया प्रस्ताव,
यूँ तो बहुत दीया है भगवान् ने, पर नयी मांगे पैदा करेंगीं नए अभाव,
फिर बीतेगा जनवरी, फरवरी, और मई के आते आते,
लगेगा सब अच्छा ले गया वो २००९ जाते जाते |
2.
वर्षांत पर फिर सोचेगा मनुष्य: कुछ नहीं बदलता यहाँ पर,
वही घात हैं, वही धूर्त हैं, वही महंत, वही बलवंत,
बस कहीं जन्मा है कोई, तो कोई गया है लोक छोड़के,
कोई नए कालेज पहुंचा है, विवाह का कर रहा है विचार कोई,
वही कार्यक्रम है, दूसरा स्टेशन है, शायद हैं कुछ अधिनायक नए,
कुछ नहीं बदलता यहाँ पर, बस आ जाते हैं आचार-व्यवहार नए,
पर गीतोपदेश सुन साथी, कर्म किये जा, निस्संदेह किये जा,
जो मिले, सो मिले, धर्म-कर्म से न करना गिले,
जो मिटे, सो मिटे, जो बने, सो बने, कर्म किये जा, हर पल किये जा,
मात्र कर्म पर था अधिकार तेरा, महाफल पर था अधिकार नहीं |
३
'जो हुआ जैसे हुआ' को कहते हैं इतिहास समझ, और 'जो जैसे होना चाहिए' को संस्कार समझ,
महाफल पर अधिकार नहीं, पर उसे निर्धारित करता है कर्म ही, इस क्यूँ, कैसे को संसार समझ,
क्या भला है, क्या बुरा है, नीति क्या, क्या नियम, क्या नियति, क्या नीयत,
झाँक भीतर, सब रहस्य, रस, रूप, रौनक, रंग, दीप्ती, गुण-दोष भीतर है,
तहों में तलाश, सतहों से दूर रह, टटोल स्व को, सच्चितानंद भीतर है,
चक्रव्यूह लगे चुनौतियाँ, संग्राम पराक्रम दिखाने का मंच, और जीवन हर क्षण
है अर्थ (पैसा / मर्म), काम (मोह / वासना), धर्मं (अध्यातम / रीति-रीवाज), के द्वन्द,
इन द्वंदों में, मायागीत के छंदों से, मुक्ति के रस्ते तीन: परिश्रम, ज्ञान-साधना और भक्ति के,
मित्र नए वर्ष में नए हर्ष से स्वरच कामनाएं, कर निर्धारित जय-स्वजय, और पा आत्म में शक्ति यह,
चाहे अश्रु मिलें या सांसारिक सुख मिलें, पर रहे कर्म प्रमुख, आस्था आमुख और परमार्थ से भरा रहे हृदय |
English and Hindi poetry & prose, published as well as unpublished, experimental writing. Book reviews, essays, translations, my views about the world and world literature, religion, politics economics and India. Formerly titled "random thoughts of a chaotic being" (2004-2013). A short intro to my work: https://www.youtube.com/watch?v=CQRBanekNAo
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Thursday, December 31, 2009
2010 में नया-पुराना, कर्मस्तुती, और आत्मबोध (2010 mein naya purana, karma stuti aur aatmbodh
Posted by
Vivek Sharma
at
4:40 PM
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